बढ़ती जनसंख्या : एक समस्या

विश्व
की जनसंख्या में निरंतर वृदृधि
होती रही है। विश्व स्वास्थ्य
संगठन की रिपोर्ट में यह वात
स्पष्ट रूप सै स्वीकार की गई
है कि विश्व की जनसंख्या बृदूथि
दर में जो कमी आईं है,
उसका कारण
चीन सरकार हवारा उठाए गए कारगर
कदम हैं। चीन की सरकार यह
भली-भाँति
जानती है कि जनसंख्या को रोके
बिना आर्थिक उपलब्धियाँ नहीं
हो सकती। यदि हम भारत की स्थिति
पर बिचार करें तो हमें ज्ञात
होगा कि देश की जनसंख्या 121
करोड़ की पार
कर कर गई है। इतनी विशाल जनसंख्या
को उपयोग क्री वस्तुएँ उपलब्ध
कराना अपने आप में एक समस्या
है। भारत एक गरीब देश है। इसके
संसाधन भी सीमित हैं। जनसंख्या
वृद्दधि पर काबूपाए बिना देश
में आर्थिक संपन्नता लाना
अत्यंत कठिन है।
जनसंख्या
वृदृधि से बहुत अधिक समस्याएँ
उत्पन होतो हैं। जनसंख्या
बृदूधि से अधिक आवासीय स्थलों
की आवश्यकता होती हैं। अधिक
मकान बनाने के लिए अधिक पूमि
कौ आवश्यकता होती है। इससे
पूमि पर दबाव पड…ता है। कृषि
योग्य भूमि धन के लालच मैं बेच
दी जाती है। ’कृषि-उत्पादन
में गिरावट होती है। आज शहरीकरण
के कारण सीमाएँ फैलती जा रही
हैँ। इस प्रवृस्ति की रोका
जाना नितांत आवश्यक है।
अधिक
आबादी के लिए अधिक वस्तुओँ
की आवश्यकता होगी। न केवल
उदरपूर्ति के लिए बल्कि अन्य
आवश्यकताओं कौ पूर्ति के लिए
अधिक संसाधन जुटाने होंगे।
यदि साधन पर्याप्त न हुए तो
देश की स्थिति विषम हो जाएगी।
अधिक आबादी के लिए अधिक अनाज,
अधिक तेल,
अधिक कपड़ा,
अधिक पानी,
अधिक यातायात
के साधनों कौ आवश्यकता होगी।
ईंधन अथवा ऊर्जा कौ भो अधिक
आवश्यकता होगी। यह सब केसे
प्राप्त किया जाएगा ?
पेट्रोलियम
उत्पादों के बारे में विशेषज्ञों
का मत है कि वह 40-50
वर्षों में
समाप्त हो जाएँगे।
जनसंख्या
वृदृधि के कारण शिक्षा-सुविधाओँ
का अभाव महसूस किया जा रहा है।
देश की बहुसंख्यक जनसंख्या
को शिक्षा की प्राथमिक सुविधाएँ
भी नहीं मिल षा रही हैँ। देश
में पर्याप्त मात्रा में
स्कूल, कॉलेज
व शैक्षणिक संस्थाओ का अभाव
है। जब तक देश के सभी बच्चों
को शिक्षा को सुबिधा नहीं
मिलेगी तब तक इस देश का सर्वागीण
बिकास संभव नहीं हैं!
इस देश की
समस्त समस्याओ के मूल में
अशिक्षा है।
जनसंख्या
वृदूधि के कारण स्वास्थ्य
सुविधाओँ की भी बहुत कमी है।
देश की अधिकांश जनसंख्या को
स्वास्थ्य की बुनियादी सुविधाएँ
भी प्राप्त नहीं हैं। सरकारी
अस्पतालों की संख्या सीमित
है। जो सरकारी अस्पताल हैं
उनमें वहुत अधिक मीड़ है। देश
की गरीब जनता निजी अस्पतालों
का महँगा खर्च वहन नहीं कर
सकती । इस वजह से गरीब लोग इन
सुविधाओ' फै
अभाव में मरने क्रो मजबूर हैं।
हर
व्यक्ति चाहता है कि उर्स
रोज़गार उपलब्ध कराया जाए।
इसके साथ-साथ
अधिक संतान उत्पन्न करना मी
प्रत्येक व्यक्ति अपना ज़न्मसिदूध
अधिकार समझता है। सरकार के
लिए यह संभव नहीं है कि वह
नियोजन के बिना सबको रोज़गार
उपलब्ध कराए। इसके साथ-साथ
सबको रोज़गार न मिलने पर अनेक
समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
इससे आर्थिक अपराध बढ़ते हैं।
समाज मे'
अव्यवस्था
फैलती है। राज्य के राजस्व
पर अधिक बोझ पड़ता है। इससे
देश में असंतोष पैदा होता है।
शासन-व्यवस्था
में अस्थिरता आती है। इससे
देश कमजोर होता है और उसकी
एकता एवं अखंडता खतरे में पह
जाती है। छोटो-छोटी
सौ समस्याओं को लेकर आदोलन
चलते रहते हैं। इसके लिए
राजनीतिक दल भी पूरी तरह
उत्तरदायी हैं। वे निकृष्टतम
हथकंडे अपनाने तक को तैयार
हो जाते हैं।
उपर्युक्त
बातों से स्पष्ट है कि
ज़नसंख्या-बृटूधि
किसी भी दृष्टि से किसी भी देश
के लिए हितकर नहीं है। इले
रोकना ही होगा। देश तभी प्रगति
के पथ पर आगे बढ़ सकेगा जब
परिवार नियोजित रहैं। जनसंख्या
वृदूधि सबसे अधिक निर्धन वर्ग
में होती है। प्ररन यह उठता
है कि जनसंख्या पर काबू किन
उपायों से माया जा सकता है ?
जनसंख्या
वृतूथि को रोकने के… लिए
सर्वप्रथम जागरूकता का डोना
आवश्यक है। लोगों को यह समझाना
होगा कि छोटा परिवार सुखी
परिवार होता है। यदि परिवार
छोटा होगा तो माता-पिता
अपनी संतान का पालन-पोषण
ढंग से कर सकेंगे.
उम्हें बढिया
कपड़े, पौष्टिक
भोजन एवं अच्छी शिक्षा दिलाई
जा सकती है । बज्यों एवं माताओं
के स्वस्थ रहने के लिए परिवार
को नियंत्रण में रखना बहुत
आवश्यक है।
आप
जनता के दिमाग में यह बात बिठानी
होगी कि परिवार-नियोजन
उनके हित में है। इसका धार्मिक
दृष्टि से कोई विरोध नहीं है।
इस मामले में जोर-ज़बरदस्ती
से कार्य नहीं चलेगा बल्कि
धैर्यपूर्वक उन्हें समझाना
होगा। परिवार नियोजन को सरकार
अब ' परिवार
कल्याण ' का
नाम देती है। इसके लिए विभिन्न
उपकरणों के प्रयोग पर बल दिया
जा रहा है। लोगों को उन्हें
अपनाना होगा। यदि आप जनता
सरकार को जनसंख्या नियंत्रण
में अपना सहयोग देगी तो देश
विकास की राह पर अग्रसर दो
सकेगा। सत्कार गरीबी,
अशिक्षा,
बेरोज़गारी
जैसी समस्याओँ से प्रभावशाली
तरीके से निपट सकती है।
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