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विज्ञान : वरदान या अभिशाप | Essay On Science in Hindi | StudentsHelper Hindi


विज्ञान : वरदान या अभिशाप 


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'विज्ञान' शब्द का अर्थ है…विशेष ज्ञान|  मानव आदिकाल से ही नए-नए आविष्कार करता आया है। आज हम जिस युग में रह रहे हैं वह विज्ञान का युग है। विज्ञान के आविष्कारों से जहाँ एक और मनुष्य का जीवन सुखमय बना है, वहीं दूसरी और उसके विनाश के नए-नए उपाय भी निकल आए हैं।

यह तो सर्वमान्य है कि विज्ञान ने मानव को बहुत अधिक सुरव्र-सुविधाएँ प्रदान की हैं। मानव जीवन से संबदूध समस्त घटनाओँ में यही तथ्य परिलक्षित होता है। विज्ञान ने विबुयुत का आविष्कार करके मानव जीवन में क्रांति ही ला दी है। विबुयुत ने मानव को प्रकाश और शक्ति प्रदान को जिससे वह अनक यंत्रों को चलाने में सफल रहा। वह घर बैठे ही शिमला की उडी हवा खा सकता है, तथा सर्दियों में कमरे को गर्म रख सकता है।


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मनोरंजन के क्षेत्र में विज्ञान ने अनेक साधन प्रस्तुत किए हैं। रेडियो, टेपरिकार्डर, टेलीविजन, कंप्यूटर, वीसी. आर. एयर कंडीशनर, सभी विज्ञान की देन हैं। संगीत के नित्य नए उपकरण बाजार मॅ आ रहे हैं। दूरदर्शन समाचार पत्र जानकारी और मनोरंजन का सबसे लोकप्रिय माध्यम है।

विज्ञान ने चिकित्सा जगत में काफी प्रगति को है। आज़ मानब दूवारा हृदय एवं मस्तिष्क का आँपरेशन करना संभव हो गया है। नित्य , नईं-नई औषधियाँ बन रही हैं। यह सब वैज्ञानिक परीक्षणों का ही परिणाम है। चिकित्सा विज्ञान ने अंधों को आँखें दी हैं और बहरों को काना उसने जीबन को सुंदर और दीर्घ बना दिया है। यातायात के क्षेत्र में विज्ञान को उपलब्धियाँ आश्चर्यजनक हैं। पढिए के आविष्कार ने आज उन्नति की बहुत ऊंन्ती मजिल तय कर ली है। अब हम 'जेट-युग' में जी रहै हैं। ध्वनि रने भी तीव्र गति रने चलने वाले वायुयान मानव के पास उपलब्ध हैं।



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विज्ञान ने सूचना प्रौदूयोगिक्री के क्षेत्र में तो कमाल ही कर दिखाया है। कंप्यूटरों को इंटरनेट से जोडकर हमारे जीवन कां बहुत सुविधाजनक बना दिया है। अब तो कंप्यूटर के बिना हमें अपना जीवन अधूरा प्रतीत होता है। परंतु आज मानव के सामने एक बडा प्रश्न उपस्थित हौ भया है कि बिज्ञान के नित्य नए आविष्कारों के कारण यह बदली हुई स्थिति उसके लिए व्रस्वान होगी या अभिशाप ॰7 यह प्रश्न इसलिए खड़ा हुआ है, क्योंकि एक और जहाँ मानब विज्ञान का उपयोग अपने हित में कर रहा है वहीं दूसरी आर भयंकर अस्त्र-शरत्रों क भंवर जाल में र्फ'सता चला जा रहा है। आज एक देश दूसरे देश को वैज्ञानिक शक्ति के आधार पर दबा रहा है। आज़ जिस देश के पास जितनी अधिक वैज्ञानिक शक्ति है, बही देश अपने को गौस्वान्वित मान रहा है। कुछ लोग विज्ञान को इसलिए अभिशाप मानते हैं, क्योंकि इसने बड़े-बड़े संहारक अरबों को जन्म दिया है। इस प्रकार के घातक हथियारो' का निर्माण किया है कि सारे संसार को कुछ ही मिनटों मैं नष्ट किया जा सकता है। आज विश्व में परमाणु अस्वी को हांड़ बढ रही है!

हमैं विज्ञान को अभिशाप सै बचाना होगा। इसकी शक्ति को जन कल्याणकारी कार्यों में लगाना होगा। हमें हथियारों की अंधी दौड को समाप्त करना होगा, तभी विज्ञान वरदान बन सकेगा।

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