आतंकवाद और मानवतावाद


Vs
आतंकवाद
का अर्ध है,
अपनी ताकत
से दूसरे को भयभीत करना। इसमें
दूषित मानसिकता वाला एक वर्म
अपनी भ्रमित इच्छा के वशीभूत
होकर दूसरे वर्ग को हिसा से
डराता-धमकाता
है और हत्या तक करने का घृणित
कार्य करता है। इस प्रकार की
गतिविधियों से समाज और देश
में भय और अराजकता का वातावरण
बनता है और सामान्य जन-जौवन
बुरी त्तररु से प्रभावित होता
है।
इस
समय विश्व में अनेक समस्याएँ
मुँहबाए खडी है। विश्व आर्थिक
मंदी से जूझ रहा है। अधिकांश
देशों मे गरीबी की समस्या
व्याप्त है। राजनैतिक दृष्टि
सै भी विश्व के अनेक देशों में
उथल-पुथल
हो रही है। मिस्र को जनता ने
अपने राष्ट्रपति हुस्वी मुबारक
को गददो छोड़कर विदेश भागने
पर मजबूर कर दिया । अन्य देशी
में भी उलट-पुलट
हो रहा है। विश्व के अनेक देश
मूख और बेरोजगारी को समस्या
से दो-चार
हो रहे हैं।
इन
समी समस्याओँ में से सबसे
ज्वलंत समस्या है-आतंकवादा
इसका सामना विश्व के अधिकांश
देशों को किसी-न-किंसौ
रूप में करना पड्र रहा है।
अमेरिका में विश्व का सबसे
बइ। आतंकी हमला हो चुका है।
इंग्लैंड मी इसका शिकार बन
चुका है। पाकिस्तान और भारत
तो इस आतंकवाद को गत दो दशकों
से झेल रहे हैँ। इन दोनों देशों
मॅ अब तक हजारों व्यक्ति आतंकवाद
का शिकार बन चुके हैं। अभी तक
यह दौर थमा नहीं है। जप्पू-कष्टमीर
निरंतर आतंकवाद के साये में
जी रहा है। भारत के अन्य भागों
में भी आतंकवादी घटनाएँ घटित
होती रहती हैं।
अभी
पिछले दिनों वाराणसी में मी
आतंकी हमला हुआ है। मुंबई के
ताज होटल तथा छत्रपति शिवाजी
टर्मिनल पर 26/1
1 / के आतंकी
हमले की यादें अभी ताजा हैं।
आतंकवाद
मानव जाति के लिए बहुत बड़ा
खतरा है। आतंतित्यों का कोई
धर्मं या मज़हब नहीं होता। वे
तो मानवजाति के शत्रु हौते
हैँ। उनका लक्ष्य तो समाज में
अराजकता फैलाना ढोता है। वे
कथी भी कुछ हासिल नहीं कर पाते
हैं। कई वार तो उम्हें अपनी
जान तक गँवानी पडती है। हॉ,
वै भय और आतंक
का वातावरण बनाने में अवश्य
कामयाब हो जाते हैं।
आतंकवादी घटनाओँ सै मानव जाति
का बिकास अवश्य अवरुदूध हो
जाता है। आतंकवादी हमले कायरता
की निशानी है।
हमें
आतंकवाद सै जूझना होगा। इसके
लिए साहस और आत्मविश्वास की
अत्यधिक आवश्यकता है। आतंकवाद
को
रोकने
के लिए दृढ इच्छा शक्ति र्का
जरूरत हौती है। सरकार को इसे
वोट बैंक से न जोडकर लोगों की
सुरक्षा से देखकर सख्त निर्णय
लर्न होंगे। भारत सरकार अभी
तक दुविधाम्रस्त मन८स्थिति
मैं र्कसी है। उसे किसी वर्ग
बिशेष को खुश करने र्का प्रवृन्ति
त्यागनी होमी। आतंकवादियों
को जौ सजा कोर्ट ने सुनाईं है,
उसे क्रियान्वित
करना सरकार की जिम्मेदारी
है। इसमें सरकार का ढुलमुल
रवैया आतंकवाद को रोक पाने
में असफल प्रतीत होता जान पड़
रहा है। लोगों को भी सतर्क एव'
साहसी बनकर
आतंकवाद सै लोहा लना होगा।
सभी के संयुक्त प्रयासों सै
ही इस समस्या पर काबूपाया जा
सकेगा।

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